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गया के तीर्थ स्थान
फल्गू नदी-
गया के पूर्व मे बहने वाली फल्गु नदी मे सिर्फ़ मॉनसून के मौसम मे ही पानी आता है| अन्य मौसमो मे नदी बाहर से सूखी रहती है पर नदी के रेत को थोड़ा हटाने पर साफ पानी निकल आता है| देवी सीता के श्राप से यह नदी रेत के नीचे से बहती है|
सीता कुंड -
विष्णुपद मंदिर के विपरीत फल्गु नदी के दूसरे तट पर सीताकुंड के स्थित है | यहाँ पर एक छोटा मंदिर है जो उस स्थान को दर्शाता है जहाँ देवी सीता ने अपने श्वसुर को पिन्डदान किया था|
अक्षयवट -
प्रसिद्ध अक्षयवट विष्णुपद मंदिर के पास मे ही अवस्थित है| अक्षयवट को देवी सीता का आशीर्वाद प्राप्त है की वह अमर होने के साथ साथ इसके किसी भी मौसम मे पत्ते नही गिरते|
सती मंदिर- -
गया के दक्षिण दिशा मे एक छोटी सी पहाड़ी पर प्रसिद्ध सती (गौरी) मंदिर है| यह मंदिर अक्षयवट के पास मे स्थित है| भगवान शिव ने अपनी पत्नी सती की मृत्यु से क्रुध होकर प्रलयंकारी तांडव नृत्य किया था| इसे रोकने के लिए और भगवान शिव के क्रोध को कम करने के लिए भगवान विष्णु सुदर्शन चक्र से देवी सती की मृत देह को विभिन्न टुकड़ो मे काट दिया| ये विभिन्न टुकड़े अलग-अलग स्थानो पर पृथ्वी पर गिरे जो विभिन्न शक्ति पिठों (देवी गौरी की पूजा हेतु पवित्र स्थल) के रूप मे स्थापित हुए|
रामशीला -
गया के दक्षिण - पूर्व दिशा मे स्थित रामशिला पहाड़ी गया के प्रमुख पवित्र स्थलों मे से एक है क्यूंकी अनुश्रुतियो के अनुसार भगवान राम ने इसी पहाड़ी पर पिन्डदान किया था| पहाड़ी का नाम भगवान राम के साथ जुड़ा हुआ है| यहाँ पर कई प्राचीन पत्थर की मूर्तियाँ मिली है जिन्हे अब भी पहाड़ी के उपर व उसके आसपास देखी जा सकती है जो यह दर्शाता है कि यहाँ बहुत पहले भी किसी मंदिर का अस्तित्व रहा होगा| पहाड़ी के उपर स्थित मंदिर को रामेश्वर या पातालेश्वर मंदिर कहा जाता है जिसे प्रारंभिक रूप मे 1014 ई० मे बनाया गया था लेकिन बाद मे इसकी कई बार मरम्मत व पूर्णस्थापना की गयी| मंदिर के सामने हिंदू श्रद्दालुओं द्वारा पितृपक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का पिन्डदान किया जाता है|
प्रेतशिला -
रामशिला पहाड़ी से लगभग 10 किलोमीटर दूर प्रेतशिला पहाड़ी स्थित है| ठीक पहाड़ी के नीचे ब्रहमकुंड स्थित है| इस जलाशय मे स्नान करने के उपरांत लोग पिन्डदान करने के लिए जाते है| इस पहाड़ी के शिखर पर इंदौर की महारानी, अहिल्या बाई के द्वारा 1787 ई० मे राम मंदिर बनवाया गया था जिसे अब अहिल्या बाई मंदिर के नाम से जाना जाता है| यह मंदिर हमेशा से ही अपने विशिष्ट स्थापकला और शानदार मूर्तियाँ के लिए प्रयटकों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा है|
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